उम्मीद : एक नई राह

बहुत दिनों से कुछ नया लिखने का मन हो रहा था। शब्द मानो दिल की आवाज बन गये। कलम हथियार  की तरह स्वत: ही 'मयान से निकल पडी | जज्बात कागज पर उकेरे नहीं जाते बल्कि गढे जाते है। सरपट भागती समय के दौड से जिन्दगी कई अनकहे सवालो के जबाब तलासती । कुछ अनकहे जजवात जुबाँ तक आकर यूँ रुक जाते है। कुछ सवाल अंधेरे में रोशनी की तलाश में बिखर जाते। 

जवानी नौकरी की तैयारी मे समंदर के लहरों में फंसी नाव की तरह हिचकोले खाती तैर रही होती। इस नाव की ऐसी जिन्दोजहद है, जिसमें अक्सर कोई माझी तुलसीदास हो जाता कोई  कोई देवदास |

 और आप क्या बनोगे इसका फैसला सिर्फ और सिर्फ समय के पास है। उम्मीद  कि पाने को तो सारा जहाँ है पर फिल्हाल तो अपने पास एक कमरा कुछ नई पुरानी किताबे और बंद कमरे में सांस लेते कुछ अधुरे सपने | कुछ उम्मीदो से  भरे और कुछ ना उम्मीदी के सवालों से घिरे । यहाँ सवाल आपके योग्यता का नहीं जिसपर मूल्याकन हो यहां सवाल आपके अंन्दर के    सर्वियवल इनस्टिंग का है। तो अगर आप तैयार है तो आपका स्वागत है।

लेखक / रचनाकार उत्तम कुमार महतो 

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