भारत में कृषि क्षेत्र की चुनौतियां

 भारत में कृषि क्षेत्र की चुनौतियां

 भारत में कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है या यूं कहें कि भारतीय कृषि देश की कुल श्रम का लगभग 52 प्रतिशत भाग कृषि से संबंधित क्षेत्रों से जीवकोपार्जन कर रहा है अतः हम कह सकते हैं कि देश की कृषि देश की आधारशिला है इसकी प्राथमिकता को सिद्ध करने के लिए स्वतंत्रता के पश्चात जवाहरलाल नेहरू ने कृषि को देश की आत्मा कहा था भारत में कृषि जोखिम भरा है कृषि एवं कृषि के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों पर इसका गहरा प्रभाव स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है कृषि के क्षेत्र में समस्याएं और चुनौतियों का सीधा प्रभाव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप से समाज पर पड़ता है भारत में कृषि के विकास की रफ्तार काफी धीमी रही है भारत में कृषि के क्षेत्र चुनौतियों से भरा रहा है 77 भारत में कृषि की समस्याएं भी है जिसमें निपटने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं


भारत में कृषि क्षेत्र के लिए प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार है भारत में जलवायु परिवर्तन भारत में कृषि मौसम आधारित होती है जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों के नष्ट हो जाना एक प्रमुख समस्या है मौसम परिवर्तन के कारण सूखी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है समय पर वर्षा नहीं होने के कारण या भारी वर्षा होने के कारण फसलों को काफी नुकसान होता है इस समस्या से कृषि और इससे जुड़े लोगों को भी काफी गहरा नुकसान होता है

भारत में कृषि का आधुनिकरण ना होना भारतीय कृषि में प्राचीन कृषि पद्धतियों का चलन नगदी फसलों की तुलना में पुरानी रवि खरीफ फसलों के उत्पादन पर विशेष जोर दिया जाता है इसके साथ ही प्राचीन कृषि पद्धति से उत्पादन कृषि की उत्पादकता और गुणवत्ता को अंतर स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है


सिंचाई के पर्याप्त व्यवस्था ना होना भारतीय कृषि जो मानसून आधारित होती है पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को उसके उत्पादन के लिए मौसम पर पूरी तरह से निर्भर रहना पड़ता है
भारत में जैविक खेती का ना होना एक प्रमुख समस्या है भारत में खेती और उससे जुड़े कार्य बहुत अधिक खर्चीला है जिस कारण भारत में जैविक कृषि के लिए जागरूकता की कमी एवं किसानों को आत्मनिर्भर ना होना साथ ही साथ किसानों को आर्थिक रूप से पिछड़ा होना इसका एक महत्वपूर्ण कारण है

भंडारण और बाजारों की कमी खाद्य उत्पादों के उत्पादन के पश्चात उसके भंडारण एवं उसे बचाने के लिए व्यापक बाजारों में कमी इसने कृषि से जुड़े लोगों को कृषि के मोह भंग होता जा रहा है लोगों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बेचने के लिए वैकल्पिक बाजार की समस्या का सामना करना पड़ता है।

बागवानी फसलों के उत्पादन में कमी एवं पशुपालन जैसी व्यवस्थाओं में कमी के कारण कृषि का व्यवसायीकरण नहीं हो पा रहा है इसके परिणाम स्वरुप किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है

इन सब की आंतरिक जैविक उत्पादों के उत्पादन मछली पालन फसल बीमा फसलों को कीड़ों से सुरक्षा भूमि सुधार में समस्या मृदा के उपजाऊ बनाए रखने की समस्या जल संचरण जैसी चुनौतियां कृषि को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है कृषि का व्यापारीकरण ना होना और आर्थिक रुप से किसानों का सशक्त ना होना चिंता का विषय है उत्पादन की गुणवत्ता पर नियंत्रण के साथ-साथ कृषि की संरचना में बुनियादी व्यवस्थाओं में परिवर्तन एवं नवीनतम तकनीकों का प्रयोग ना होना गंभीर चिंता का विषय है भारत सरकार ने कृषि और किससे उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य योजनाओं का क्रियान्वयन किया है जिससे कृषि की बुनियादी ढांचे में विकास हो और पंचवर्षीय योजनाओं के तहत कृषि के विकास पर भी जोर दिया गया है एवं कृषि अनुसंधान केंद्र और विश्वविद्यालयों की स्थापना इसका एक सार्थक परिणाम है साथ ही साथ लोगों को जागरूकता के माध्यम से जागरुक किया जा रहा है और किसी क्षेत्र में तेज की चुनौतियों से निपटने के लिए एवं आत्म निर्भर बनाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है

लेखन उत्तम कुमार


इसी प्रकार के रोचक तथ्य एवं जानकारियों के लिए हमारे ब्लॉक पर  जानकारियां प्रतिदिन दी जाएगी|

हमारा उद्देश्य लोगों के अज्ञान रुपी अंधकार को  समाप्त करना है|

अधिक जानकारी के लिए हमारे ब्लॉक को प्रतिदिन सर्च करें| और अच्छा लगे तो  facebook  पेज को लाईक करे किसी विषय अधिक जांनकारी  के लिये सुझाव व भेज सकते है1

धन्यवाद        

I BUILT MY SITE FOR FREE USING