किस पल से लिखना शुरू करूँ मै
मुझे समझ मे कुछ नही आ रहा है
मेरे जीवन का बीता हर पल ही
मेरे जीवन की परिभाषा है
मेरी जिंदगी चलती जा रही है
जैसे मेरे हाथो से रेत फिसलती जा रही है
बहुत सी कमियां है मुझमे भी
इससे मैने कब इंकार किया है
नही तलाश अब किसी मंजिल की ये सफर ही बहुत खूबसूरत है
मेरे रास्तों की हर मुश्किल को
मेरे हर रिश्ते ने कदम – कदम पर मेरे लिये आसान किया है
पर ना जाने ऐसे कितने पल है
कितनी ही ऐसी बातें है जो मैने अक्सर तन्हाइयों में खुद से ही बाँटे है
जैसे किसी नदी में ठहरा – ठहरा सा पानी है
कुछ तो है या किसी की कमी जो मुझे नजर नही आती है
कुछ एहसास है , कुछ ख्वाइशें है
जो पूरी होना अभी बाकी है कोई तो हो ऐसा अपना
जो मुझमे मुझसे ज्यादा शामिल हो
मैं उसके दुख का और वो मेरे सुख का सच्चा साथी हो
कहते है समय किसी की खातिर कभी नही ठहरता है
सामने कोई कितना ही सही हो सही गलत का दायरा
हमे बाँधे है परिवर्तन सृष्टि का नियम है
ये बात हम सबने कहीं ना कहीं मानी है
हर नजरिए हर जिंदगी में छिपी एक
नयी सोच एक नयी कहानी है
रचनाकार :उत्तम कुमार महतो
◆◆ समाप्त ◆◆